प्रदेश सरकार ने मिशन प्रेरणा की प्रभावी निगरानी के लिए राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित की है । राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क...

बेसिक शिक्षा विभाग – कानपुर नगर
Basic Education Department – Kanpur Nagar
प्रदेश सरकार ने मिशन प्रेरणा की प्रभावी निगरानी के लिए राज्य, मण्डल और जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित की है । राज्य स्तर पर मुख्य सचिव, मण्डल स्तर पर मण्डलायुक्त और जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में टास्क...
'ऑपरेशन कायाकल्प' के अन्तर्गत परिषदीय विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के सुधार एवं संतृप्तीकरण हेतु निर्देश दिये गये हैं | 'ऑपरेशन कायाकल्प ' के अन्तर्गत चिन्हित किये जाने वाले निर्मितियों / आधारभूत संरचनाओं में प्राथमिक विद्यालयों एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों को...
बेसिक शिक्षा विभाग, कानपुर नगर में प्रत्येक माह "प्रगति" नाम से न्यूज़लेटर का प्रकाशन किया जाता है | जिसमे परिषदीय विद्यालयों के उत्कृष्ट कार्यों को स्थान दिया जाता है | इस न्यूज़लेटर की खासियत यह है कि सूचना संकलित करने...
डॉ अंबेडकर ने कहा था कि – शिक्षा शेरनी का दूध है | जिसने एक बार इसे मन से पी लिया, किसी भी जंगल में उसका शिकार मुश्किल है | शिक्षा के माध्यम से व्यक्तिगत प्रगति का यह आवाहन सामाजिक रूपान्तरण में परिवर्तित हो जाता है | इसीलिए मेलसन मंडेला ने कहा – “Education is the most powerful weapon to change the world”. तृतीय विश्व के देशों में भारत अपनी शिक्षा प्रणाली की प्रभावोत्पादकता के कारण विशिष्ट है | शिक्षा शान्ति की ओर ले जाने वाली शक्ति का सृजन करती है, जो भारत की पहचान है | हिन्दी भाषी प्रदेशों में उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का विशिष्ट स्थान है | 1922 में स्थापित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एक समय अजमेर से कलकत्ता तक विस्तारित था | 1924 में पहली बार माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने शीर्ष वरीयता प्राप्त बच्चों का ऐलान किया, जिसमे पहला स्थान पाने वाले विद्यार्थी का नाम था “दौलत सिंह कोठारी” | श्री कोठारी भारत सरकार के पहले विज्ञान सलाहकार तथा 1964 में शिक्षा के लिये गठित कोठारी आयोग के अध्यक्ष बने | 1972 में बेसिक शिक्षा की स्थापना के माध्यम से उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा को विशेष रूप से बल प्रदान करने का प्रयास आरम्भ किया गया | शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के माध्यम से 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को शिक्षा का मूल अधिकार प्रदान किया गया | नयी शिक्षा नीति के माध्यम से भारत अपने भविष्य के कर्णधारों को वर्तमान में सशक्त बनाने का सतत प्रयास जारी रखेगा |